निविदा क्रमांक 18622/सीपीसी/2025 बिलासपुर, दिनांक 16 सितम्बर 2025।(ई-वेस्ट और स्क्रैप सामग्री का डिस्पोजल)
परिपत्र क्रमांक 296(Mis.) बिलासपुर, दिनांक 15 सितम्बर 2025।
आदेश क्रमांक 86(App.)/2025 बिलासपुर, दिनांक 15 सितम्बर 2025। (स्टाफ कार ड्राइवर की नियुक्ति आदेश)
स्टाफ कार ड्राइवर पद हेतु अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की तालिका।
आदेश क्रमांक 1077/गोपनीय/2025 बिलासपुर, दिनांक 12 सितम्बर 2025।
अधिसूचना क्रमांक 18405/चेकर बिलासपुर, दिनांक 12 सितम्बर 2025।
पृष्ठांकन क्रमांक 18291 बिलासपुर, दिनांक 11 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर दिनांक 15.09.2025. से प्रभावी रोस्टर।
निविदा सूचना क्रमांक 18301/सीपीसी/2025, बिलासपुर, दिनांक 11 सितंबर 2025.
(इलेक्ट्रॉनिक लार्ज फॉर्मेट डिस्प्ले सिस्टम की 02 इकाइयों हेतु)
अधिसूचना क्रमांक 18077/चेकर बिलासपुर, दिनांक 08 सितम्बर 2025।
अधिसूचना क्रमांक 18075/चेकर बिलासपुर, दिनांक 08 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में 09.09.2025 से प्रभावी अनुपूरक रोस्टर।
आदेश क्रमांक 17825/मध्यस्थता/सीएम-38 बिलासपुर, दिनांक 3 सितम्बर 2025।
आदेश क्रमांक 17823/मध्यस्थता/सीएम-38 बिलासपुर, दिनांक 3 सितम्बर 2025।
परिपत्र क्रमांक 17913(न्यायिक) बिलासपुर, दिनांक 03 सितम्बर 2025।
दिनांक 13/09/2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत हेतु बेंचों के गठन के संबंध में।
पृष्ठांकन क्रमांक 17685 बिलासपुर, दिनांक 01 सितम्बर 2025. (हाई कोर्ट कॉलोनी, सेक्टर-2, बोदरी के एच-टाइप शासकीय आवासीय भवन के आबंटन के संबंध में)
पृष्ठांकन क्रमांक 3966/एचसीएलएससी/पैनल/2025 बिलासपुर, दिनांक 29 अगस्त 2025. (रिटेनर वकीलों के लिए उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, बिलासपुर के पैनल वकीलों के संबंध में।)
अधिसूचना क्रमांक 287 बिलासपुर, दिनांक 30 अगस्त 2025।
अधिसूचना क्रमांक 286 बिलासपुर, दिनांक 30 अगस्त 2025।
पृष्ठांकन क्रमांक 17563 बिलासपुर, दिनांक 29 अगस्त 2025।
पृष्ठांकन क्रमांक 1063/गोपनीय/2025 बिलासपुर, दिनांक 29 अगस्त 2025।
पृष्ठांकन क्रमांक 17335/रूल/2025 बिलासपुर, दिनांक 26 अगस्त 2025।
अधिसूचना क्रमांक 17126/चेकर बिलासपुर, दिनांक 23 अगस्त 2025।
अधिसूचना क्रमांक 17124/चेकर बिलासपुर, दिनांक 23 अगस्त 2025।
महत्वपूर्ण सूचना
परिपत्र क्रमांक 17327 बिलासपुर, दिनांक 23 अक्टूबर 2024।
परिपत्र क्रमांक 181 बिलासपुर, दिनांक 17 अक्टूबर 2024।
परिपत्र क्रमांक 123/डी.ई. बिलासपुर, दिनांक 17 अक्टूबर 2024।
आदेश क्रमांक 135 बिलासपुर, दिनांक 21 अगस्त 2024।
परिपत्र क्रमांक 609/गोपनीय/2024 बिलासपुर, दिनांक 24 जून 2024।
राज्य, नियोजक होने के नाते, किसी पद विशेष हेतु पात्रता की शर्ते जैसे योग्यता आदि निर्धारित कर सकता है तथा भर्ती एवं सेवा की शर्तों के संबंध में नियम बना सकता है, तथा उसे केवल इसलिए अधिकारातित घोषित नहीं किया जा सकता कि यह भारतीय संविधान अंतर्गत प्रदत्त विधायी सक्षमता से परे या स्वेच्छाचारिता से बनाया गया हो।
योग्यता की समकक्षता वह तथ्य नहीं जिसे न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के प्रयोग में निर्धारित किया जा सके, इस तथ्य को नियुक्ति प्राधिकारी होने से राज्य शासन निर्धारित करेगा।
द्वितीय कारण बताओ सूचना में पूर्ववृत्त पर आश्रय का उल्लेख न किया जाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन है, जहां पूर्ववृत सजा का आधार हो।
अभियोजन एजेंसी द्वारा घोर विसंगतियाँ और चूकें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं; विचारण न्यायालय को अभियोजन और जाँच एजेंसियों की कार्रवाइयों पर सावधानीपूर्वक निगरानी रखने का निर्देश दिया जाता है ताकि आरोपी को अभियोजन की चूकों से अनुचित लाभ न मिले, एक निष्पक्ष विचारण सुनिश्चित हो, और विधि के शासन और उचित प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखा जा सके।
यह कानूनी दायित्व है कि आरोप विरचित करने के प्रारंभिक चरण में, मात्र अनुमान, कल्पना व क्लिष्ट कल्पित आधार पर हस्तक्षेप न किया जाए, कानून में यह अभियुक्तों के विरूद्ध विचारण कार्यवाही को बाधित करने के समान है।
"निजता एक संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है, जो मुख्यतः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता की गारंटी से उत्पन्न होता है। इसमें व्यक्तिगत अंतरंगता, पारिवारिक जीवन की पवित्रता, विवाह, संतानोत्पत्ति, गृह एवं लैंगिक अभिविन्यास का संरक्षण शामिल है। इस अधिकार में किसी भी प्रकार का अनाहूत हस्तक्षेप व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।"
छत्तीसगढ़ माध्यस्थम् अधिकरण अधिनियम, 1983 के लागू होने के दृष्टिगत उसके क्षेत्राधिकार के संबंध में आपत्ति, माध्यस्थम् कार्यवाही पूर्ण होकर पंचाट पारित हो जाने के बाद नहीं की जा सकती।
पुजारी देव स्थल की सम्पत्ति का संचालन करने हेतु एक अनुदान प्राप्तकर्ता मात्र है और ऐसे अनुदान को वापस लिया जा सकता है यदि पुजारी उसे सौपा गया कार्य करने अर्थात प्रार्थना (पूजा-पाठ) करने में विफल रहता है । अतः उसे भूमिस्वामी नहीं माना जा सकता है ।
“उत्कृष्ट (स्टर्लिंग) साक्षी' का साक्ष्य, जो उच्च गुणवत्ता और क्षमता वाली
हो, बिना अतिरिक्त सम्पुष्टि की आवश्यकता के स्वीकार की जा सकती है।”
"जब विनियमों के अंतर्गत मध्यस्थम् खंड का व्यापक उपचार मौजूद हो, तब सिविल
विवाद का मामला आपराधिक विवाद में परिवर्तित नहीं किया जा सकता, यह कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग होगा।"
आदेश 16 नियम 2 सी.पी.सी. पक्षकारों को सुसंगता के अधीन साक्षी को समन जारी
कराने अथवा समन के लिए आवेदन दिए बिना साक्षी को, साक्ष देने या दस्तावेज पेश करने के लिए, प्रस्तुत करने की
स्वतंत्रता है।