अपीलार्थी को दिये गये मृत्युदण्ड की सजा का लघुकरण आजीवन कारावास की सजा में इस निर्देष के साथ किया गया कि आजीवन कारावास की सजा अपीलार्थी के शेष प्राकृतिक जीवन तक विस्तारित होगी।
पावर ऑफ अटॉर्नी धारक द्वारा की गई समस्त कार्यवाही पावर ऑफ अटॉर्नी निष्पादक के द्वारा की गई मानी जाएगी जब तक कि उसमें विशेष रूप से प्रतिबंध नहीं लगाया गया हो।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के अंतर्गत दण्डादेश के निलंबन एवं जमानत मंजूर किये जाने हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र पर विचार करते समय अपीलीय न्यायालय ऐसे कारणों को जो उसके द्वारा अभिलिखित किये जायेंगे, दोषसिद्घ व्यक्ति द्वारा की गई अपील के लंबित रहने तक, दोषसिद्घ व्यक्ति के मुख्य दण्डादेश के निलंबन का आदेश देने हेतु सशक्त है, और यदि वह व्यक्ति परिरोध में है तो अपीलीय न्यायालय आदेश दे सकता है कि वह जमानत पर या उसके अपने बंध पत्र पर छोड़ दिया जाए ।
विचारणीय न्यायालय द्वारा अपीलकर्ता डोलाला को दी गई मौत की सजा को उसके शेष प्राकृतिक जीवन के कारावास में लघुकृत किया जाता है।
एक मुस्लिम अपनी संपत्ति का एक तिहाई से अधिक भाग का वसीयत समस्त उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना निष्पादित नहीं कर सकता है।
स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 20 (ख)(ii) (इ) के तहत् दोषसिद्धी हेतु मनः प्रभावी पदार्थ (गांजा) आरोपी के सचेत कब्जे में होना आवश्यक है।
भारत के बाहर निष्पादित मुख्तियारनामा के संबंध में अवधारणा की जा सकती है कि यदि मुख्तियारनामा का निष्पादन धारा 14 नोटरी अधिनियिम, 1952, धारा 57 एवं 85 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 व धारा 33 पंजीकरण अधिनियम के अनुसार अनुप्रमाणित हो जब तक अन्यथा पुख्ता सबूतों से खण्डित नहीं किया गया हो।
छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम, 1993 की धारा 28 (4) में हुए संशोधन को दृष्टिगत रखते हुए, याचिका, आयुक्त के स्थान पर संचालक, पंचायत के समक्ष प्रस्तुत की जाये | याचिकाकर्ता को उसकी स्वयं की गलती का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती चूंकि याचिकाकर्ता ने गलत मंच के समक्ष निवारण का लाभ उठाया है | अतः याचिका प्राम्भिक चरण में ही ख़ारिज की जाती है |
पीड़ित, दाण्डिक अपील में प्रदत्त जमानत निरस्तीकरण के लिए, संबंधित पीठ के समक्ष, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अंतर्गत राहत की मांग कर सकता है ।
पुत्री के विवाह के लिए रखे गये आभूषणों को पति की जानकारी के बिना गिरवी रखना तथा उसके प्रतिफल का स्वयं के लिए उपयोग करना, क्रूरता की श्रेणी में आयेगा ।
किसी साक्ष्य को प्रमाणित किए बिना पत्नी द्वारा पति पर विवाहेत्तर संबंध के आरोप लगाना भी क्रूरता की श्रेणी में आयेगा ।