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वाद सूची
वाद सूची
उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर में कम्प्यूटर कैडर के विभिन्न पदों के लिए कौशल परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र।
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आदेश क्रमांक 1394,1397,1399 & 1401/गोप./2019, बिलासपुर दिनांक 06.12.2019 ।
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निविदा सूचना क्रमांक 12925(a) एवं 12925(b)/सीपीसी/2019, बिलासपुर दिनांक 30.11.2019 ।
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निविदा सूचना क्रमांक 12926/सीपीसी/2019, बिलासपुर दिनांक 30.11.2019 ।
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(कौशल परीक्षा दिनांक :16-12-2019 एवं 17-12-2019)
कौशल परीक्षा के लिए सूचना,पाठ्यक्रम और योग्य उम्मीदवारों की सूची - छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर की स्थापना में सहायक रजिस्ट्रार (आईटी), कंप्यूटर प्रोग्रामर, हार्डवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और सहायक प्रोग्रामर के पद के लिए ।
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परिपत्र क्रमांक 1363/गोप./2019, बिलासपुर दिनांक 29.11.2019 ।
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पृष्ठांकन क्रमांक 12632/चेकर /2019, बिलासपुर दिनांक 26.11.2019 ।
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पृष्ठांकन क्रमांक 1354 एवं 1358 /2019, बिलासपुर दिनांक 27.11.2019 ।
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आदेश क्रमांक 91 एवं 92 /2019, बिलासपुर दिनांक 25.11.2019 ।
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निविदा सूचना क्रमांक 11700 तथा 11699/सी.पी.सी./2019, बिलासपुर दिनांक 23.10.2019 ।
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केरल राज्य उच्चतर न्यायिक सेवा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के 05 पदों पर सीधी भर्ती के संबंध में ।
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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना में अनुवादक पद हेतु साक्षात्कार के लिए प्रवेश पत्र ।
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14 अक्टूबर 2019 से उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर का रोस्टर ।
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रोस्टर
ई-समिति
न्यूज़ लेटर
निर्णय एवं आदेश
ए एफ आर
आदेश खोजे
निर्णय खोजे
आदेश
(जून 2015 तक)
नियम
दाखिल निर्देश
स्टेडींग काउंसिल
सूचना का अधिकार
नवीनतम ए.एफ.आर.
नियुक्तियां
बैंक में भारमुक्तता प्रमाण पत्र जमा करते समय वृत्तिक सतर्कता आैर क्षमता प्रदर्शित न किये जाने हेतु किसी अधिवक्ता को दाण्डिक अपराध में अभियोजित नहीं किया जा सकता।
न्यूनतम अनिवार्य योग्यता निश्चित करने के लिए न्यूनतम मानदंड निर्धारित करना तथा उसके बाद योग्य उम्मीदवारों में से वरिष्ठता-सह-योग्यता के आधार पर पदोन्नति करना, वरिष्ठता-सह-योग्यता के सिद्धांत का उल्लंध्न नहीं है।
एक कार्यभारित कर्मचारी, जिसे कि बाद में नियमित किया गया हो, कार्यभारित स्थापना अंतर्गत प्रदत्त सेवाकाल के अवकाश के नगदीकरण का हकदार नहीं है ।
लुप्त रेखामापन चिन्ह (चाॅदा) की पुर्नस्थापना छत्तीसगढ़ भू -अभिलेख नियमावली में सूचीबद्व प्रक्रिया एवं आदेश के अनुसार किया जाना चाहिए ।
कुल 100 प्रश्नों में से 41 प्रश्नों / उत्तरों को गलत तैयार किया गया है। पुनः परीक्षा लिए जाने का आदेश दिया गया । लापरवाही के लिए हमेशा कीमत चुकानी होती है ।
तीसरे न्यायाधीश, जिन्हे दाण्डिक प्रकरण खण्डपीठ के न्यायाधीशों के मध्य अभिमत में मतभेद होने के कारण निर्दिष्ट किया गया है, मामले को नए सिरे से सुनने व विनिश्चित करने का हकदार है। तीसरा न्यायाधीश खण्डपीठ के न्यायाधीशों द्वारा प्रतिपादित एक या अन्य निर्णयों का अनुसरण करने को बाध्य नहीं है ।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15 की उपधारा 2 का खण्ड (ख) वसीयत निष्पादित करने संबधी हिंदू विधवा के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा, उक्त अधिनियम की धारा 14 के तहत वह संपत्ति की आत्यंतिक स्वामी है ।
आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान पासपोर्ट का नवीनीकरण किया जा सकता है, यदि पासपोर्ट धारक, केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 25-8-1993 के अनुसरण में दंण न्यायालय से विदेश यात्रा के लिए अनुमति प्राप्त कर लेता है ।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) के मृतक कर्मचारी की द्वितीय पत्नी परिवार पेंशन प्राप्त करने की हकदार नहीं है ।
शराब पीकर कर्तव्यस्थल पर उपस्थित होने का कदाचार, अपचारी के चिकित्सकीय जाॅच से सिद्व किया जाना चाहिये न कि मौखिक साक्ष्य से ।
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 36 (4) के अधीन अधिवक्ता नियुक्त किये जाने का उद्देश्य बिना किसी प्राथमिकता के पक्षकारो को अपना पक्ष रखने का समान अवसर प्रदान करना है ।
वार्ड का विस्तार तथा परिसीमन जनसंख्या के समान वितरण के सिद्धांत पर आधारित होगा ।
रियासत के भारत सरकार में विलय पश्चात रियसत के शासक की निजी संपत्ति परिग्रहण के समय हुए प्रसंविदा/करार अंतर्गत शासक में ही निहीत रहेगी ।
अनुबंध तथा समीपस्थ् पुरूश् ज्येष्ठािधकार के सिदांत अनुसार शासक की निजी सम्पित्तयां अगले शासक को हस्तांतिरत होगी। उक्त सम्पत्ति शासक के संयुक्त परिवार या हिन्दू अविभाजित परिवार की सम्मित्त नहीं मानी जावेगी ।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के प्रावधान उक्त निजी संपत्ति पर, अधिनियम 1956 की धारा 5(ii) के दृष्टगत लागू नहीं होंगे ।
शासक की गद्दी और संपत्ति अगले शासक को हस्तांतरित होगी तथा उसके बाद अंतिम शासक के विधिक उत्तराधिकारी कोः उसके भाई को जीवन निर्वाह हेतु 27 गांवों का माफी अधिकार देकर शासक की संपत्ति से पृथक किया गया ।
कोटवार के निलंबन के पश्चात आगे की जांच कार्यवाही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1966 से शासित होगी ।
रोगी चिकत्सालय में उपचार के लिए भर्ती होता है न कि पीडा को आैर अधिक बढाने के लिए ।
शासन द्वारा एक व्यक्ति को अनुदत्त की गई संपत्ति, उस व्यक्ति की निजी संपत्ति होगी जब तक कि यह संपत्ति संयुक्त परिवार के लाभ के आशय से अनुदत्त न की गइ हो ।
मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञेए आैर अजमानतीय अपराध में पारित दोषमुक्ति के विरूदध् राज्य द्वारा अपील दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 378 (1) (क) अंतर्गत सत्र न्यायालय में होगी न की उच्च न्यायालय के समक्ष ।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 18 नियम 4 के अंतर्गत प्रस्तुत शपत पत्र, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा के अर्थ में तब तक साक्ष्य नहीं है, जब तक शपतकर्ता का प्रतिपरीक्षण नहीं हो जाता है ।
जब चुनाव याचिका में, वास्तविक तथ्यों की स्वीकृति न हो, तब विवाद्यकों को विरचित किया जाना आवश्यक है ।
कार्यकारी आदेश, वैधानिक नियुक्ति की अवधि को कम नहीं कर सकता है ।
वैधानिक समयावधि के पश्चात विलम्ब से सूचना प्रदान की गइ, रूपये 25000/- का शास्ति अधिरोपित किया गया ।
1. कपट के आधार पर मुकदमें का अंत नहीं हो सकता, क्योंकि कपट सभी कृत्यों को दूषित कर देता है |
2. सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 1 नियम 10 अन्तर्गत न्यायालय किसी भी स्तर पर पक्षकार को जोड़ सकता है, क्यों कि प्रक्रिया सम्बन्धी त्रुटि से पक्षकारों का अधिकार कभी समाप्त नहीं होना चाहिये |
जब प्रतिभूतीकरण और वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन प्रतिभूति हित को प्रभावी करने के अधिनियम के अधीन सम्पत्ति क्रय किया गया हो , तो पूर्व मालिक के बकाया के आधार प्र क्रेता को नये विद्युत कनेक्शन के लिये तब तक मना नहीं किया जा सकता जब तक कि बैंक द्वारा बकाया की जानकारी क्रेता को पहले से न दे गई हो |
शब्द "कुलपति द्वारा जिस तरीके से जांच किया गया " वह अविद्यायी प्रशासनिक शक्ति का प्रत्यायोजन करता है |
निर्णय दिनांक के ज्ञान में आने के पश्चात अत्याधिक विलम्ब से प्रस्तुत की गई दोषमुक्ति अपील अस्पष्ट विलम्ब और उपेक्षा के आधार पर ग्रहण किये जाने योग्य नहीं है |
दाण्डिक मामले में दंड का प्रकार दंडात्मक और सुधारात्मक दोनों होना चाहिए | किसी सिद्धदोष को दंडादेश देते समय संतुलन की आवश्यकता होती है |
न्यायालयिक विज्ञानं प्रयोगशाला के प्रतिवेदन द्वारा विष देकर मृत्यु करीत किये जाने की पुष्टि नहीं | इस बात का कोई प्रमाण नहीं की विष अभियुक्त के आधिपत्य में पाया गया था और वही विष मृतक को दिया गया था | आरोपी दोषमुक्त किये जाने योग्य है |
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3 ग (2) के अधीन वास्तविक रूप से सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाना आज्ञापक है | यह सिर्फ समस्या के अस्थायी निदान के लिये नही ।
अभियुक्त के अंगुली चिन्ह का नमूना मजिस्ट्रेट के आदेश पर या उसके पूर्व नहीं लिया गया | अभियुक्त के विरुद्ध अंगुली चिन्ह विशेषज्ञ के प्रतिवेदन को साक्ष्य में नहीं पढ़ा जा सकता ।
पत्नि के द्वारा ससुर के विरुद्ध कलंकात्मक, अशिष्ट और मानहानिकारक कथन किया गया तथा दहेज़ की मांग का आरोप लगाया गया जिसे वह आपराधिक प्रकरण में सिद्ध न कर सकी | मानसिक प्रताड़ना के आधार तलाक हेतु पति की प्रार्थना स्वीकार्य योग्य है |
जब तक नियम में प्रावधान न हो, अंको के भाग के प्रतिशतक (परसेंटाइल ) को पूर्णांकित नहीं किया जा सकता |
एक बार अभियुक्त द्वारा उसके अनन्य ज्ञान के तथ्यों को स्पष्ट कर दिए जाने पर, साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अर्थ में सबूत का भार अभियोजन पर स्थानांतरित हो जाता है कि वह अन्य साक्ष्यों से साबित करे कि यह अभियुक्त ही था जिसने अपराध कारित किया |
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6 (1) के तहत सूचना चाहने वाला व्यक्ति उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश द्वारा लिए गए शपथ जिस पर उनके हस्ताक्षर है, की प्रतिलिपि प्राप्त करने का हकदार नहीं है ।
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घोषणा
: जानकारी में किसी भी चूक या विसंगति के मामले में मूल रिकॉर्ड अंतिम होगा ।
साइट का निर्माण एवं रखरखाव उच्च न्यायालय कम्प्यूटर सेल बिलासपुर द्वारा किया गया है ।